The Dust
Monday, 17 November 2014
बाँवरा मन
मन रे बाँवरे
आँखिर क्या है तेरी तम्मना
चूहों की दौड़ से तुझे है निकलना
या लोगों की वाह-वाही है तुझे लूटना
तू जिस लिए है लड़ रहा
तेरी तड़प तो उससे कोसों दूर है
लोग तो यूँ ही ताली बजाएँगे
तुझे खुद से दूर लेजएँगे
खुद से कभी बात तो कर मूरख
तेरे सपने तो कुछ और ही है
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