Monday 17 November 2014

बाँवरा मन



मन रे बाँवरे
आँखिर क्या है तेरी तम्मना
चूहों की दौड़ से तुझे है निकलना
या लोगों की वाह-वाही है तुझे लूटना
तू जिस लिए है लड़ रहा
तेरी तड़प तो उससे कोसों दूर है
लोग तो यूँ ही ताली बजाएँगे
तुझे खुद से दूर लेजएँगे
खुद से कभी बात तो कर मूरख
तेरे सपने तो कुछ और ही है

Wednesday 18 June 2014

मेरी आशा

गीता मे कहा है
कर्म करो और
फल की आशा मत करो
पर आशा ही तो जीवन है
और यही जीने की वजह

हार भी एक सत्य है
और निराशा भी
माना की दिल टूटा है
एक परिंदा रूठा है
मौसम भी पतझड़ का है

पर पतझर के बाद ही बहार आती है
परिंदों मे ख़ुसियाली लाती है
कौन कहता है टूटा दिल नही जुड़ता
आशा की किरण तो सदा ही रहती है
और हार के बाद ही जीत आती है